मार्बल एवं ग्रेनाइट उद्योग की प्रगति के लिए जीएसटी की युक्तिसंगत-दर एवं सरलीकरण करने की आवश्यकता

1) मार्बल-ग्रेनाइट उद्योग पर जीएसटी दर 18% न्यायोचित नहीं-

कृषि एवं टेक्सटाइल के बाद मार्बल उद्योग देश का तीसरा सबसे बड़ा रोजगार सृजित करने वाला उद्योग है, लेकिन मार्बल को लग्जरी बताते हुए उस पर ऊंची 18 पसेंट जीएसटी दर से टैक्स लगा दिया, जो किसी भी तरह न्यायोचित नहीं है। हाउसिंग सेक्टर सरकार की प्राथमिकता का क्षेत्र है और मोदी सरकार चाहती है कि हर परिवार का अपना घर हो। समाज के हर वर्ग का व्यक्ति नेचुरल मार्बल एवं ग्रेनाइट को उसके प्राक्तिक गुण को समझते हुए अपने घर के निर्माण में उपयोग करना चाहता है।

ऊंची जीएसटी टैक्स दर जहां उपभोक्ता को मार्बल ग्रेनाइट के उपयोग से वंचित करने का कार्य करती है, वहीं दूसरी और ईमानदार व्यापारी एवं एमएसएमई की मार्बल प्रोसेसिंग यूनिट्स के लिए व्यापार में बना रहना बहुत कठिन हो रहा है। दूसरा पहलू. ये है कि उपभोक्ता के ऊंची टैक्स दर सहन नहीं करने के कारण अवैध व्यवसाय को बढ़ावा मिलता है।

2) मार्बल ग्रेनाइट उद्योग की वेटेड एवरेज 7% से कम-जीएसटी टैक्स दर निर्धारण के लिए विभाग ने वेटेड एवरेज मैथड से टैक्स निर्धारण कर दिया। वह हमारे उद्योग में अधिकतम 7% आता है, जिसका आधार नीचे दिया जा रहा है-

a) देश में राजस्थान मार्बल का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है जहां पर वेट केवल ऽत्र था, तथा बराबर इन वेट दर दिल्ली एनसीआर में भी लागू थी जो देश का सबसे बड़ा मार्बल का उपभोक्ता राज्य है। ये प्रमाणित करता है कि वेटेड एवरेज कैलकुलेशन के लिए टैक्स का प्रभाव 5 से 6 प्रतिशत ही बनता है।

b) हमारे उधोग में जीएसटी लगने से पहले 99% इंडस्ट्री SSI (Small Scale Industry) में आती थी जिन पर कोई एक्साइज ड्यूटी नहीं लगती। ये प्रमाणित करता है कि वेटेड एवरेज कैलकुलेशन के लिए एक्साइज ड्यूटी का प्रभाव 2 प्रतिशत से कम ही बनता है।

c) जीएसटी व्यवस्था में ट्रांसपोर्ट पर रिवर्स मैकेनिज्म के तहत टैक्स लिया जाता है। यह कैरकेडिंग लाभ सरकार को मिल रहा है।

3) उद्योग पर तर्कसंगत जीएसटी दर 9% करने की मांग उचित-

इससे यह प्रमाणित होता है कि मार्बल एवं ग्रेनाइट उद्योग प जीएसटी टैक्स की दर 9% के ऊपर न्यायोचित नहीं है। जीएसटी की दर को 9% करने से मार्बल व्यापारियों और MSMEs की बड़ी राहत मिलेगी और नागरिकों को कानून के दायरे में काम करने और डिजिटल भुगतान करने के लिए भी प्रेरणा मिलेगी और अंतत कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

देश के अर्थशास्त्रियों के अनुसार भी टैक्स प्रणाली जितन सरलीकृत और कर दरों को जितना तर्कसंगत बनाया जाएगा उतन ही औपचारिक अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा।

4) सरलीकरण के लिए पैन-इंडिया रजिस्ट्रेशन महत्वपूर्ण-

जीएसटी के संदर्भ में एक और सुझाव। जीएसटी संरचना के अनुसार एक व्यवसायी के अगर देश के कई राज्यों में व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं, तो हर राज्य के लिए अलग से जीएसटी रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है, इससे काम का अनावश्यक बोझ एवं लागत बढ़‌ जाती है। इसलिए व्यावसायिक संस्थानों के लिए एक अखिला भारतीय पंजीकरण संख्या (PAN India Registration) की अनुमति दी जानी चाहिए।

5) युक्तिसंगत दर से उद्योग, उपभोक्ता एवं सरकार सबको लाभ –

जीएसटी की उचित दर से उद्योग का समग्र मनोबल बढ़ेगा और देशभर में नई और अधिक मार्बल प्रसंस्करण इकाइयां पनपेंगी इससे उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, आवास और वाणिज्यिक क्षेत्र की बढ़ती मांग पूरी होगी और अंततः सरकार को राजस्व ती प्राप्त होगा ही।

औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलने से नौकरी पर निर्भरता खत्म होगी और ग्रामीण क्षेत्रों में अकुशल लोगों के लिए अधिक से अधिक रोजगार सृजित होंगे।

जीएसटी की सस्ती दर नागरिकों को कानून के दायरे में काम करने के लिए प्रेरित करेगी। अंतिम लाभार्थी उपभोक्ता होगा, क्योंकि जीएसटी की कम दर से मार्वल की कीमत नियंत्रण में रहेगी। इससे कानूनी रूप से व्यापार करने की आदत भी विकसित होगी और लोग डिजिटल भुगतान करने के लिए प्रेरित होंगे और अंततः कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

इन सुधारों से एक तरफ खरीदार और आपूर्तिकर्ता कानूनी रूप से काम करने के लिए प्रेरित होंगे, वहीं दूसरी तरफ यह व्यापार में होने वाली गड़बड़ियों पर लगाम लगाने में भी मदद मिलेगी।

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